विश्‍व का भूगोल एक नजर में ( for SSC RAILWAY VDO POLICE etc)


विश्‍व का भूगोल एक नजर में 




ब्रहमाण्‍ड (UNIVERSE)
       ‘सम्‍पूर्ण अन्‍तरिक्ष और उसमें स्थित सभी प्रकार के द्रव्‍य व ऊर्जा ही सामूहिक रूप से ब्रहमाण्‍ड कहलाते हैं।‘
       ब्रहमाण्‍ड के अन्‍तर्गत उन सभी आकाशीय पिण्‍डों एवं उल्‍काओं तथा समस्‍त सौर परिवार जिसमें सूर्य, चन्‍द्र आदि शामिल हैं, का अध्‍ययन किया जाता हैं।

ब्रहमाण्‍ड उत्‍पत्ति के प्रमुख सिद्धांत –

   1गैसीय परिकल्‍पना (Gaseous Hypothesis)- य‍ह सिद्धांत न्‍यूटन के गुरूत्‍वाकर्षण के नियम पर आधारित हैं।
      2. निहारिका परिकल्‍पना (Nebular Hypothesis)- लाप्‍लास
    3. ग्रहाणु परिकल्‍पना (Planetesimol  Hypothesis)- चैम्‍बरलिन एवं मोल्‍टन 
      4. द्वैतारक परिकल्‍पना (Binary Star Hypothesis)- रसेल
   5. सुपर नोवा परिकल्‍पना (Super Nova Hypothesis)- हॉलय एवं लि‍टलिटन
   6. निहारिका मेघ परिकल्‍पना (The Nebular Cloud Hypothesis)- वान वाइससैकर
   7. महाविस्‍फोटक सिद्धांत (Big-Bang Theory)- यह सिद्धांतों पर आ‍धारित हैं।
    (a) निरन्‍तर उत्‍पत्ति का सिद्धांत- इसके प्रतिपादक गोल्‍ड और हरमैन बॉण्‍डी थे।
     (b) संकुचन विमोचन का सिद्धांत- इसके प्रतिपादक डॉ. ऐलन सैण्‍डेज थे।

  §  आधुनिक विचारधारा के अनुसार ब्रहमाण के दो भाग हैं-
      1.       वायुमण्‍डल
      2.       अन्‍तरिक्ष
   §  ब्रहमाण्‍ड में लगभग एक खरब आकाशगंगाएं (galaxies) हैं।
  §  प्रेक्षणीय (Perceptible)ब्रहमाण्‍ड का विस्‍तार लगभग 20 अरब प्रकाश वर्ष हैं और इसका कोई केन्‍द्र नहीं हैं।

आकाशीय पिण्‍ड

    1.   आकाशगंगा या मंदाकिनी (Galaxy) यह तारों का एक विशाल पुंज हैं। अन्‍तरिक्ष (Universe) में 10,000 मिलियन आकाशगंगाएं हैं।
प्रत्‍येक आकाशगंगा में 1,00,000 मिलियन तारे हैं। तारों के अतिरिक्‍त आकाशगंगा में धूल एवं गैसें भी पायी जाती हैं। पृथ्‍वी ऐरावत पथ (Milky way) नामक आकाशगंगा का एक भाग हैं। वृहत मैगेलेनिक मेंघ (Large Magellanic cloud), लघु मैगेलेनिक मेघ (Small Magellanic Cloud), उर्सा माइन सिस्‍टम (Sculptor System), स्‍कलपटर सि‍स्‍टम, ड्रेको सिस्‍टम आदि अन्‍य आकाशगंगाएं हैं।
इस विशाल ब्रहमाण्‍ड में विभिन्‍न द्रव्‍यों के एक साथ संकेन्‍द्रण के फलस्‍वरूप तारों का निर्माण होता हैं। इन तारों का बडा समूह मिलकर आकाशगंगा का निर्माण करता हैं।

   2.   नी‍हारिका (Nebulae) – यह एक अत्‍यधिक प्रकाशमान आकाशीय पि‍ण्‍ड हैं, जो गैस एवं धूलकणों से मिलकर बना होता हैं। ओरियन नी‍हारिका (Orion Nebulae) ऐरावत पथ में (Milky Way) स्थित हैं।    

   3. तारामण्‍डल (Constellation)- ये तारों के समूह हैं। प्राचीन काल में इनकी विशिष्‍ट आकृतियों के आधार पर इनका नामकरण किया गया था।
आधुनिक समय में 89 तारामण्‍डलों की पहचान की गई हैं। इनमें से हाइ्ड्रा (Hydra) सबसे बडा हैं।

  4. क्‍वैसर (Quasors or Quasi-Stellar Radio Source)- ये वो आकाशीय पिण्‍ड हैं जो आकार में आकाशगंगा (Galaxy) से छोटे हैं, परन्‍तु उससे अधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्‍सर्जन करते हैं। इस प्रकार के अत्‍यधिक चमकीले आकाशीय पि‍ण्‍डों की खोज 1962 ई. में की गयी। 1983 ई. में एक ऐसे क्‍वैसर की खोज की गयी, जिसका चमकीलापन (Luminosity) सूर्य से अधिक हैं।

   5. तारे (Stars) - आकाशगंगा में गैस के बादल होते हैं एवं तारों का निर्माण इन बादलों से होता हैं। तारों से निरन्‍तर ऊर्जा का उतसर्जन होता रहता हैं। सूर्य भी एक तारा हैं। अन्‍तरिक्ष में कुछ तारें युग्‍मों में पाये जाते हैं, जिन्‍हें ‘युग्‍म तारा’ (Binary Star) कहा जाता हैं।

   6. उपग्रह (Satallite) - ये छोटे आकाशीय पिण्‍ड हैं, जो किसी ग्रह के चारों ओर चक्‍कर लगाते हैं। इनका अपना प्रकाश नहीं होता, बल्कि ये तारों से प्रकाश ग्रहण करते हैं। 

   7. क्षुद्रग्रह (Asteroid) - ये छोटे-छोटे आकाशीय पिण्ड हैं, जो मंगल एवं बृहस्‍पति ग्रह के बीच स्थित हैं। इनकी संख्‍या लगभग 45000 हैं। ये आकार में चन्‍द्रमा से भी काफी छोटे हैं। चार वेस्‍टां(4 Vesta) एकमात्र क्षुद्र ग्रह हैं, जिसे आंखों से देखा जा सकता हैं।

   8. उल्‍का (Meteors) - ये वास्‍तव में ठोस आकाशीय पदार्थ हैं, जो पृथ्‍वी के वायुमण्‍डल में प्रवेश करने पर घर्षण के कारण जलने लगते हैं एवं चमकीला प्रकाश उत्‍पन्‍न करते हैं। कभी-कभी ये टुकडें उल्‍कापात (Meteoite) के रूप में पृथ्‍वी पर गिरते हैं। इनमें लोहा एवं निकेल जैसी भारी पदार्थो की प्रधानता होती हैं।

   9. धूमकेतु (Comets)- ये आकाशीय धूल कण, गैस, बर्फ आदि पदार्थों से निर्मित आकाशीय पिण्‍ड हैं। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के निकट आने पर, सूर्य की ओर स्थित भाग के पदार्थों के वाष्‍पीकरण से इसके सिर (Head) का निर्माण होता हैं। इसकी पूंछ सदैव सूर्य से दूर होती हैं। टेम्‍पल-1, हेलबॉय, फोर्ब्‍स, हेली आदि धूमकेतु के उदाहरण हैं।      
   10. सूर्य (Sun)- यह एक तारा हैं, जो पृथ्‍वी से लगभग 15 करोड किमी दूर स्थित हैं। इसके सतह का तापमान 60000C हैं। सूर्य का बाहरी भाग क्रोमोस्‍फीयर (Chromosphere) कहलाता हैं। केंद्रीय भाग को फोटोस्‍फीयर (Photosphere) कहा जाता हैं एवं इसका तापमान 150000C हैं।

  11. चन्‍द्रमा (Moon) - यह पृथ्‍वी का उपग्रह हैं, जो पृथ्‍वी से 3,84,365 किलोमीटर दूर स्थित हैं। चन्‍द्रमा पर दिन का तापमान 1000C एवं रात का तापमान 1800C होता हैं। चन्‍द्रमा पर गुरूत्‍वाकर्षण बल का मान पृथ्‍वी के गुरूत्‍वाकर्षण बल का 1/6 वां भाग हैं। कम गुरूत्‍वाकर्षण बल के कारण चन्‍द्रमा पर वायुमण्‍डल का अभाव हैं।

§  फ्रॉन हॉफर रेखाएं (Fraunhofer Lines)- सौर स्‍पैक्‍ट्रम में 7 रंगों के अतिरिक्‍त अनेक काली रेखाएं दिखायी देती हैं, जिन्‍हें ‘फ्रॉन हॉफर रेखाएं’ कहा जाता हैं। इन रेखाओं की तीव्रता एवं मोटाई से तत्‍व विशेष के धनत्‍व एवं तापमान का ज्ञान होता हैं।

§  सौर ज्‍वाला (Solar Flames)- सूर्य से हर दिशा में प्रक्षेपित प्रोटान्‍स का बहुत अधिक-उत्‍सर्जन कभी-कभी लगभग 700 किमी. प्रति सकेण्‍ड की गति एक तीव्र होकर कोरोना को पार करकेक अन्‍तरिक्ष में चला जाता हैं, जिसे ‘सौर ज्‍वाला’ नाम दिया गया हैं।

§  अरोरा बोरियालिस (Aurora Borealis)- या उत्‍तरी ध्रुवीय ज्‍योति-उत्‍तरी ध्रुव पर लगभग 100 से 100 किमी की ऊंचाई पर कभी-कभी रंगीन प्रकाश दृष्टिगोचर होता हैं। इसका कारण सौर ज्‍वालाओं को पृथ्‍वी के वायुमण्‍डल में प्रवेश करने पर हवा के कणों से टकराना हैं।

§  अरोरा आस्‍ट्रालिस (Aurora Australis)- या दक्षिण ध्रुवीय ज्‍योति-सौर ज्‍वालाओं के भू-वायुमण्‍डल में प्रवेश करने पर वायु कणों से टकराव के बाद दक्षिणी ध्रुव पर दिखाई देने वाला रंगीन प्रकाश।
§  सौर पवन (Solar Wind)- सौर परिमण्‍डल से निरन्‍तर निकलने वाली कम प्रभावशाली प्रोटान्‍स की तीव्रधारा जिसकी गति लगभग 640 किमी प्रति सेकेण्‍ड होती हैं सौर पवन कहलाती हैं। सूर्य की घूर्णन गति के कारण इसका आकार सूर्पाकार होता हैं। इनके साथ चुम्‍बकीय क्षेत्र होता हैं जिसके कारण पृथ्‍वी का चुम्‍बकीय क्षेत्र इनकों विक्षेपित कर देता हैं।

§  सौर कलंक (Sun Spot)- सूर्य के परिमण्‍डल में दिखने वाले धब्‍बे जिनका तापमान सूर्य की सतह के तापमान (60000C) से काफी कम (लगभग 15000C) होता हैं। सम्‍भवत: यह चुम्‍बकीय रेखाओं का बन्‍द क्षेत्रा हैं। सौर कलंको की अध्किृता के समय पृथ्‍वी पर चुम्‍बकीय आंधियों (Magnetic Storms) का जन्‍म देता हैं जिसका प्रभाव रेडियों, टेलीविजन, वायरलैस आदि पर पडता हैं।

§  वेन एलेन बेल्‍ट (Van Allen Belt) या चुम्‍बकीय मण्‍डल (Magnetosphere) - चुम्‍बकीय मण्‍डल जिसकी ऊंचाई धरातलीय सतह से 64 हजार किमी होती हैं। वेन ऐलेन बेल्‍ट कहलाती हैं। यह बेल्‍ट पृथ्‍वी की चुम्‍बकीय कवच हैं जिसमें सूर्य से निकले हुए प्रोटान्‍स एवं इलेक्‍ट्रॉन्‍स फंस कर पृथ्‍वी की चुम्‍बकीय शक्ति से बंध जाते हैं।

सौर मण्‍डल (Solar System)
       सूर्य, इसकी परिक्रमा करने वाले 8 ग्रहों, इन ग्रहों के उपग्रहों (या चन्‍द्रमाओं) एवं अनेक क्षुद्र ग्रहों (asteroids), घूम्रकेतुओं (comets) तथा उल्‍काओं (meteors) को सामूहिक रूप से सौरमण्‍डल कहते हैं।
 §  ग्रह-सूर्य के चारों और परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिण्‍डों को ग्रह कहते हैं। इनका अपना प्रकाश नहीं होता हैं, बल्कि वे सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होतें हैं।
 §  सौरमण्‍डल में 8 ग्रह हैं। सूर्य से बढती दूरी के क्रम में इनके नाम है: बुध् (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्‍वी (Earth), मंगल (Mars), बृहस्‍पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरूण (Uranus), तथा वरूण (Neptune)
 §  शुक्र ग्रह का आकार लगभग पृथ्‍वी के सामान है तथा यह पृथ्‍वी के निकटतम हैं। इसे सौन्‍दर्य का देवता भी कहते हैं।
 §  इसके वायुमण्‍डल में 97% कार्बन ड्राइ -ऑक्‍साइड पाई जाती हैं। 
 § यह सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह हैं।
 §  शुक्र ग्रह का कोई उपग्रह नहीं हैं।
 §  इसे भोर का तारा (morning Star) व सांध्‍य तारा (evening Star) भी कहते हैं, क्‍योंकि यह भोर में या सायं में दिखाई देता हैं।
 §  यह सौरमण्‍डल का तीव्रतम (fastest) ग्रह हैं।
 §  बुध, चन्‍द्रमा के सदृश दिखाई देता हैं। बुध ग्रह का धनत्‍व 5.4 ग्राम प्रति घन सेमी हैं, जोकि पृथ्‍वी के घनत्‍व के बराबर हैं।
 §  इस ग्रह का कोई उपग्रह नहीं हैं।
 §  यह सौरमण्‍डल में सूर्य से चौथे पर स्थित एक चमकीला ग्रह हैं।
 §  आयरन ऑक्‍साइड की उपस्थित के कारण इसे लाल ग्रह (Red Planet) भी कहा जाता हैं।
 §  इसके दो घ्रुव हैं तथा यहां भी पृथ्‍वी की भांति ऋतु परिवर्तन होता हैं।
 §  यहां पर अनेक ज्‍वालामुखी, गहरे गड्ढे तथा ऊबड-खाबड ऊंचे भू-भाग हैं। सबसे ऊंचा पर्वत ‘निक्‍स ओलम्पिया’ हैं, जो एवरेस्‍ट से तीन गुना ऊंचा हैं।
 §  इसके दो उपग्रह हैं- फोबोस और डीमोस
 §  यह सूर्य से आठवां दूरस्‍थ ग्रह हैं। इस ग्रह की खोज 1846 में जॉन गैले ने की थी।
 §  इसके वायुमण्‍डल में मुख्‍य रूप से हाइड्रोजन गैस पाई जाती हैं। इसके साथ ही कुछ मात्रा में मीथेन गैस गैस भी पाई जाती हैं। मीथेन के कारण ही यह ग्रह हरें रंग का दिखलाई पडता हैं। इस ग्रह के 13 उपग्रह हैं।
 §  पृथ्‍वी सूर्य का तीसरा निकटतम ग्रह हैं।
 §  पृथ्‍वी का सम्‍पूर्ण क्षेत्राफल 51,00,66,100 वर्ग किमी हैं, जिसमें इसका 70.92% भाग समुद्रों से ढका हुआ हैं तथा शेष 29.08% भाग में सम्‍पूर्ण जनसंख्‍या निवास करती हैं। पृथ्‍वी का एक उपग्रह (चन्‍द्रमा) हैं।


सौरमण्‍डल : कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

    सबसे भारी ग्रह- बृहस्‍पति (Jupiter)
रात्रि में लाल दिखाई देने वाला ग्रह- मंगल (Mars)
सौरमण्‍डल का सबसे बडा उपग्रह- गैनीमोड (Ganymede)
सौरमण्‍डल का सबसे छोटा उपग्रह – डीमोस (Deimos)
सौरमण्डल में ग्रहों की संख्‍या- 8 (Eight)
सबसे बडा ग्रह – बृहस्‍पति (Jupiter)
सबसे छोटा ग्रह- यम (Pluto)
पृथ्‍वी का उपग्रह- चन्‍द्रमा (Moon)
सूर्य से सबसे निकट ग्रह – बुध (Mercury)
पृथ्‍वी से सबसे निकट ग्रह – शुक्र (Venus)
सबसे अधिक चमकीला ग्रह – शुक्र (Venus)
सबसे अधिक चमकीला तारा- साइरस (Dog Star)
सबसे अधिक उपग्रहों वाला ग्रह- बृहस्‍पति (Jupiter)
नीला ग्रह – पृथ्‍वी (Earth)
लाल ग्रह – मंगल (Mars)
भोर का तारा – शुक्र (Venus)
सांझ का तारा – शुक्र (Venus)
पृथ्‍वी की बहन – शुक्र (Venus)
सौन्‍दर्य का देव – शु्क्र (Venus)
हरा ग्रह – वरूण (Neptune)
विशाल लाल धब्‍बे वाला ग्रह – बृहस्‍पति (Jupiter)
सबसे बडा क्षुद्र ग्रह – डोग सेरस (Ceres)

पृथ्‍वी : प्रमुख तथ्‍य

सम्‍पूर्ण धरातलीय क्षेत्रफल : 51,00,66,100 वर्ग किलोमीटर
भूमि क्षेत्रफल : 14.89 करोड वर्ग किलोमीटर (29.08%)
जनसंख्‍या : 6.7 बिलियन
सूर्य से दूरी : 14,95,98,900 किमी
सूर्य के प्रकाश का पृथ्‍वी तक पहुंचने का समय – 8 मिनट 18 सेकण्‍ड
प्रकाश-वर्ष – 9.4605 × 1,015 मीटर
चन्‍द्रमा का व्‍यास : 3,476 किमी
पृथ्‍वी की चन्‍द्रमा से औसत दूरी : 3,84,403 किमी
पृथ्‍वी की अक्षीय घूर्णन अवधि् : 23 घण्‍टा 56 मिनट, 4.09 सेकण्‍ड
पृथ्‍वी की परिक्रमण अवधि – 365 दिन 5 घण्‍टा 48 मिनट 45.5 सेकण्‍ड  
पृथ्‍वी के अक्ष का कक्षा तल पर झुकाव : 230
पृथ्‍वी के अक्ष पर कक्षा तल पर कोण : 660

§  बृहस्‍पति सौरमण्‍डल का सबसे बडा व भारी ग्रह हैं।
§  इसके वायुमण्‍डल में मुख्‍यत: मिथेन, अमोनिया व हाइड्रोजन गैस पाई जाती हैं।
§  बृहस्‍पति ग्रह के 63 उपग्रह हैं।
§  यह पृथ्‍वी से 11 गुना भारी हैं। इस ग्रह पर एक विशाल गड्ढा हैं जिसमें से आग की लपटें निकलती रहती हैं जिससे यह विशाल लाल धब्‍बा जैसा दिखाई देता हैं। इसका एक उपग्रह गेनीमीड सौरमण्‍डल में सबसे बडा उपग्रह हैं।
§  इसका अक्ष 1* झुका होने के कारण यहां मौसम सदा समान रहता हैं।
§  अरूण सूर्य से सातवां दूरतम ग्रह हैं। इस ग्रह की खोज 1781 में विलियम हरशेल ने की थी।
§  शनि की भांति ही इस ग्रह के चारों ओर भी वलय पाए जाते हैं। इन वलयों में अल्‍फा, बीटा, गामा व एप्‍सीलान प्रमुख वलय हैं। इस ग्रह के 27 उपग्रह तथा 11 धुंधली  वलय हैं।
§  यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता हैं, जबकि अन्‍य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूमते हैं।
§  सूर्य मुख्‍यत: हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना हुआ अत्‍यन्‍त गर्म स्‍वंय-प्रकाशमान (Self-Luminous) तारा हैं।
§  पृथ्‍वी इसके चारों और दीर्घवृत्‍ताकार कक्षा में परिक्रमा करती हैं जिससे उसके और सूर्य के बीच की दूरी बदलती रहती हैं।
§  पृथ्‍वी से सूर्य की औसत दूरी को खगोलिय इकाई (Astronomical Unit, AU) का नाम दिया गया हैं। सूर्य का व्‍यास पृथ्‍वी के व्‍यास का लगभग 109 गुना हैं। सूर्य का द्रव्‍यमान सम्‍पूर्ण सौरमण्‍डल के द्रव्‍यमान का 99.87 प्रतिशत हैं। 
        
  



   

विश्‍व का भूगोल एक नजर में ( for SSC RAILWAY VDO POLICE etc) विश्‍व का भूगोल एक नजर में ( for SSC RAILWAY VDO POLICE etc) Reviewed by Unknown on July 16, 2018 Rating: 5

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