उ.प्र. : वन एंव प्राकृतिक वनस्पतियां
उत्तराखंड के गठन के कारण उत्तर प्रदेश की काफी वन क्षेत्र उत्तराखंड में चला गया तथा अब उत्तर प्रदेश में मात्र 6.09 प्रतिशत क्षेत्र पर (ISFR-2017 के अनुसार) वनावरण शेष हैं। वृक्षावरण क्षेत्र को मिलाकर यह प्रतिशत 9.18 तक पहुंचता हैं।
v उत्तर प्रदेश की प्रथम वन नीति वर्ष 1952 में तथा द्वितीय वन नीति वर्ष
1988 में घोषित की गई।
v राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुसार किसी भी भौगोलिक क्षेत्र के
33.33 प्रतिशत भू-भाग पर वन होने आवश्यक हैं।
v वर्ष 1998 में राष्ट्रीय वन नीति लागू हुई थी, इसी परिप्रेक्ष्य
में उत्तर प्रदेश वन नीति 1998 लागू हैं।
v राज्य सरकार द्वारा भारतीय वन (उ.प्र. संशोधन) अधिनियम, 2000 अप्रैल,
2001 में लागू हुआ।
v किसी राज्य में वनों का क्षेत्रफल वन क्षेत्र (Forest Area) एवं वनावरण (Forest Cover) के आधार पर व्यक्त किया जाता हैं।
v वन भूमि के रूप में अभिलिखित भू-क्षेत्र को वन क्षेत्र के रूप में
निरूपित किया जाता हैं, चाहे उसमें वन हों या न हों।
v वनावरण से आशय उपग्रहों द्वारा चित्रित वह भू-भाग
हैं जो वास्तविक रूप से वनाच्छादित होता हैं।
v उ.प्र. वन निगम की स्थापना 25
नवंबर, 1974 को की गई थी।
भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2017
भारतीय
वन सर्वेक्षण द्वारा 2017 में प्रस्तुत ISFR – 2017 (India
State of Forest Report- 2017) के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल अभिलिखित (Recorded) वन क्षेत्र 16,582 वर्ग
किमी. हैं जों कि इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 6.88% हैं।
v वैधानिक स्थिति के अनुसार इसमें आरक्षित वन 72.79 प्रतिशत सरंक्षित
वन 6.98 प्रतिशत और वर्गीकृत वन 20.23 प्रतिशत हैं।
v ISFR
– 2017 के अनुसार (अक्टूबर, 2015) से दिसंबर, 2015 के दौरान के सैटेलाइट आंकडों
के आधार पर) उत्तर प्रदेश का कुल वनावरण 14679 वर्ग किमी. हैं जो कि उत्तर
प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 6.09 प्रतिशत हैं।
v इसमें 2617 वर्ग
किमी. में अति सघन वन (1.09 प्रतिशत), 4069 वर्ग किमी. में माध्यम सघन
वन (1.69 प्रतिशत) तथा 7993 वर्ग किमी. में खुले वन (3.32 प्रतिशत) हैं।
v ISFR
– 2015 के संशोधित आंकडों की तुलना में राज्य में वनावरण में 278 वर्ग
किमी. की वृद्धि हुई हैं।
v कुल क्षेत्रफल में
सर्वाधिक वन क्षेत्र प्रतिशत वाले 5 जिले (घटते क्रम में) सोनभद्र, चंदौली,
पीलीभीत, मिर्जापुर, चित्रकूट।
v उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण
कुल क्षेत्रफल के 3.08 प्रतिशत क्षेत्र (7442 वर्ग किमी.) में हैं।
v उत्तर प्रदेश में झाडियों
(Scrub) का क्षेत्रफल 551 वर्ग
किमी. (0.22 प्रतिशत) में विस्तृत हैं।
v उत्तर प्रदेश में
अधिकतम वनावरण वाला जिला सोनभद्र (2,539 वर्ग किमी: जिले के भौगोलिक
क्षेत्र का 37.77 प्रतिशत) हैं।
v उत्तर प्रदेश में न्यूनतम
वनावरण वाला जिला संत रविदास नगर (3 वर्ग किमी, जिले के भौगोलिक क्षेत्र का
0.30 प्रतिशत) हैं।
v प्रदेश में सर्वाधिक अतिसघन वन क्षेत्र लखीमपुर खीरी (805 वर्ग किमी.) जिले
में हैं।
v अधिकतम मध्यम वन क्षेत्र (967 वर्ग किमी.) एवं खुला वन क्षेत्र (1442 वर्ग
किमी.) सोनभद्र जिले में हैं।
v उ.प्र. में सर्वाधिक वन तराई एवं भाबर क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
वनों के प्रकार :-
उ.प्र.
में मुख्यत: तीन प्रकार के वन पाए जाते हैं-
(1)
उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती वन
(2)
उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
(3)
उष्ण कटिबंधीय कंटीली झाडियां
·
उ.प्र. में उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती वन तराई एवं भाबर
क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
v नम पर्णपाती वनों में
साल, बेर, गूलर, पलाश, महुआ, सेमल, आंवला, जामुन, बांस तथा बेंत आदि के वृक्ष पाए
जाते हैं।
v उ.प्र. में शुष्क
पर्णपाती वन पूर्व, मध्य एवं पश्चिम मैदानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
v शुष्क पर्णपाती वनों
में नीम, पीपल, शीशम, जामुन, अमलतास, बेल एवं अजीर के वृक्ष पाए जाते हैं।
v झाडियां एवं घासें शुष्क
पर्णपाती वनों में ही पाई जाती हैं।
v उ.प्र. के मैदानी नम
भूमि और नदियों के किनारें नीम, पीपल, शीशम, आम, जामुन, महुआ, बबूल एवं इमली के
वृक्ष मिलते हैं।
v उ.प्र. के दक्षिणी भाग
में कंटीली झाडियों वाले उष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें अकेसिया, कंटीले
लेगुमेस, यूफर्बियास, फुलाई, कत्था, कक्कों, धामन, रेरूनझा तथा नीम के वृक्ष
बहुतायत में मिलते हैं।
v उष्ण कटिबंधीय कंटीली
झाडियों वाले वनों से राल एवं गोंद की प्राप्ति होती हैं।
वन क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण आंकडें
· अधिकतम वन क्षेत्र प्रतिशत वाले पांच जिले (घटते क्रम
में)- सोनभद्र (36.77%), चंदौली (22.24%), पीलीभीत (18.67%), मिर्जापुर (18.27%), चित्रकूट (18.22%)।
· न्यूनतम वन क्षेत्र प्रतिशत वाले पांच जिले (बढते क्रम
में)- संत रविदास नगर (0.30%), मैनुपरी (0.51%), देवरिया (0.59%), मऊ (0.64%), बलिया (0.74%)।
· अधिकतम वन क्षेत्रफल वाले पांच जिले (घटते क्रम में)-
सोनभद्र (2539 वर्ग किमी.), खीरी (1274 वर्ग किमी.), मिर्जापुर (805 वर्ग किमी.),
पीलीभीत (688 वर्ग किमी.), ललितपुर (587 वर्ग किमी.)।
·
न्यूनतम वन क्षेत्रफल वाले पांच जिले (बढते क्रग में)-
संत रविदास नगर (3 वर्ग किमी.), मऊ (11 वर्ग किमी.), संत कबीर नगर (14 वर्ग
किमी.), मैनपुरी (14 वर्ग किमी.), वाराणसी (17 वर्ग किमी.)।
v विरोजा एवं तारपीन के
तेल की प्राप्ति चीड वृक्ष के राल से होती हैं।
v कत्था की प्राप्ति खैर
वृक्ष से होती हैं।
v बेंत एवं बांस का उपयोग
मुख्यत: कागज उघोग में कच्चे माल के रूप में किया जाता हैं।
v बीडी बनाने हेतु तेंदू
वृक्ष के पत्तों का उपयोग किया जाता हैं।
v रेलवे लाइन के स्लीपरों
और इमारती लकडी के रूप में साल, चीड, देवदार एवं सागौन वृक्षों का उपयोग किया जाता
हैं।
v उ.प्र. में लगभग 1000
प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे लकडियां प्राप्त होती हैं।
v गंगा के मैदानी भाग में
लगभग 200 प्रकार की घासें पाई जाती हैं।
v उ.प्र. के तराई क्षेत्र
में रोवोल्फिया सर्पेंटाइना (Rauwolfia Serpentina), वाइओला सरपेंस (Viola
Serpens), पोडो फाइलियम (Podo Phylleum), हेक्सान्ड्रम (Hexadrum) तथा एफेकरा गेरारडियान
नामक औषधीय पौधे पाए जाते हैं।
v उ.प्र. के बुंदेलखंड एवं
बघेलखंड क्षेत्रों में मुख्यत: ढाक, सागौन, महुआ, सलाई, चिरौंजी तथा तेंदू के
वृक्ष पाए जाते हैं।
वनों से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यक्रम/योजनाएं
v प्रदेश में सामाजिक
वानिकी योजना वर्ष 1976 में शुरू की गई।
v सहभागी वन प्रबंधन,
जापान सरकार की मदद से जुलाई, 2010 से तराई, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में
चलाई जा रही हैं।
सोनभद्र के वेलहत्थी ग्राम को प्रदेश का
पहला ग्राम वन घोषित किया गया हैं-
v
वन श्रमिकों के कल्याणार्थ सामूहिक बीमा योजना वर्ष
1989-90 से प्रारंभ की गई।
v
सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम 22 चयनित जनपदों में 2005-06
से चलाई जा रही हैं।
v
वृक्षारोपण विस्तार योजना, प्रदेश के चयनित 48 जिलों
में 2007-08 से चलाई जा रही हैं।
v
बांसरोपण एवं वन सुधार योजना-प्रदेश के ललितपुर,
चित्रकूट, महोबा, मिर्जापुर, व सोनभद्र जिलों में 2007-08 से चलाई जा रही हैं।
v
वृक्षबंधु पुरस्कार योजना वर्ष 2007-08 से, वृक्षारोपण
एवं वन्य जीव संरक्षण को बढावा देने के लिए चलाई जा रही हैं।
v
राज्य जैव विविधता बोर्ड निधि 2007-08 से, जिसका
उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग तथा केंद्र सरकार
के साथ इस क्षेत्र में सहयोग करना हैं।
v
उत्तर प्रदेश में वनों के सुधार एवं वनों पर निर्भर जन
समुदाय के निर्धानता उन्मूलन के दृष्टिगत जापान इण्टरनेशनल को ऑपरेशन एजेंसी
द्वारा वित्त पोषित उत्तर प्रदेश पार्टिसिपट्री फॉरेस्ट मैनेजमेंट एवं पावर्टी
एलिविएशन प्रोजेक्ट वित्तीय वर्ष 2008-09 से क्रियान्वित की जा रही हैं।
v
यह परियोजना उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी,
बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट,
इलाहाबाद, मिर्जापुर, सोनभद्र, तथा चंदौली जनपदों के 20 वन प्रभागों में
क्रियान्वित की जा रही हैं।
v
ईधन एवं चारा प्रोजेक्ट 1990-91 से केंद्र-राज्य
भागीदारी से चलाया जा रहा हैं। (उद्देश्य- ग्रामीण लोगों को ईधन एवं चारा वाले
वृक्षों के रोपण हेतु प्रोत्साहित करना)
v
इंटीग्रेटेड फॉरेस्ट प्रोटेक्शन स्कीम- वनों को अग्नि
एवं चोरों से सुरक्षा हेतु (केंद्र-राज्य भागीदारी)।
v
वन सुरक्षा योजना- वनों के अवैध कटान, वन क्षेत्र में
अतिक्रमण को रोकने हेतु 27 जिलों में।
v
लखनऊ वृक्षारोपण परियोजना- 2004-05 (लखनऊ नगर के
सुंदरीकरण के लिए)
v
समग्र वन विकास योनजा जिसके अंतर्गत औघोगिक एवं प्लाईवुड
वृक्षारोपण, ईधन वृक्षारोपण, सडक के किनारे वृक्षारोपण, बीहडों का वनीकरण, रामगंगा
घाटी क्षेत्र योजना आदि सम्मिलित किया गया हैं।
v
उत्तर प्रदेश में संयुक्त वन प्रबंधन (Joint
Forest Management) 1992 में प्रारंभ हुआ था।
v
वर्तमान में 1,892 JFM समितियॉ लगभग 80,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र का
प्रबंधन कर रही हैं।
v
उ.प्र. के वनों को 1935 में राजकीय संपति घोषित किया
गया।
v
उ.प्र. में वन महोत्सव का आरंभ जुलाई, 1952 से
हुआ।
v
वन महोत्सव आंदोलन का मूलाधार हैं वृक्ष का अर्थ जल
हैं, जल का अर्थ रोटी हैं और रोटी ही जीवन हैं।‘
v
वन अनुसंधानशाला देहरादून (उत्तराखंड)
में स्थित हैं।
v
उ.प्र. के वन सेवा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को
प्रशिक्षण भारतीय वन महाविधालय, देहरादून में दिया जाता हैं।
v
यूकेलिप्टस वृक्ष को पारिस्थितिकी आतंकवादी कहा
जाता हैं।
v
उ.प्र. के तराई क्षेत्र में सवाना प्रकार की लंबी घासें
मिलती हैं।
v
उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण की वृद्धि के लिए 1 जुलाई
2001 से आपरेशन ग्रीन योजना शुरू की गयी।
v
2007-2008 से ‘ऑपरेशन ग्रीन’ का संचालन उ.प्र.
सरकार द्वारा किया जा रहा हैं।
v
ऑपरेशन ग्रीन का संबंध वन क्षेत्रों के विस्तार से हैं।
v
उ.प्र. में वन क्षेत्रों को बढाने के लिए बरेली, पीलीभीत, बिजनौर, मेरठ, बदायूं, और
सहारनपुर जिलों में हाईटेक नर्सरी’ विकसित करने का कार्य शुरू किया गया
हैं।
v
11 जुलाई, 2016 को उ.प्र. सरकार द्वारा
ग्रीन यू.पी. क्लीन यू.पी. अभियान के तहत 5 करोड से भी अधिक वृक्ष लगाने का
रिकॉर्ड स्थापित किया गया।
v
ध्यातव्य हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 7 नवंबर,
2015 को ग्रीन यू.पी. क्लीन यू.पी. अभियान की शुरूआत की गई थी।
v
इस अभियान के तहत उन्नाव वन प्रभाग में सर्वाधिक
22,42,125 पौधे लगाये गये।
वनों पर आधारित उ.प्र. के कुछ प्रमुख उघोग केंद्र इस प्रकार हैं-
v
बेंत, फर्नीचर, कत्था, माचिस, एवं प्लाईवुड – बरेली,
नजीबाबाद एवं ज्वालापुर
v
कागज का प्रमुख केंद्र- सहारनपुर
v
बीडी, चीनी मिट्टी के खिलौने – मिर्जापुर, झांसी
v
लकडी के खिलौने – सोनभद्र, वाराणसी
v
खेल का सामान- मेरठ
UP GK for VDO, LEKHPAL EXMS (उ.प्र. - वन एंव प्राकृतिक वनस्पतियां)
Reviewed by Unknown
on
July 25, 2018
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